एक सौतेली माँ की निषिद्ध कल्पनाएँ तब सामने आती हैं जब वह अपने युवा, कुंवारी सौतेले बेटे के प्रति अपनी इच्छा के आगे झुक जाती है। उनकी वर्जित मुठभेड़ से एक परिवार का रहस्य, एक भावुक आदान-प्रदान पता चलता है जो वर्जित और इच्छा की रेखाओं को धुंधला कर देता है।.